इरम शर्मिला के उपवास को १२ साल पुरे होने को हैं.. सरकार का कोई कदम इसके लिए अभी तक उठता हुवा नहीं दिखा... देश का कोई भी नागरिक चाहे वो जो भी चाह रहा हो कम से कम एक बार सरकार को उस से एक बार बात तो करनी चाहिए ..
AFSPA (Armed Forces Special Power Act 1958) के बारे में मेरा बहुत गहन अध्ययन नहीं है, लेकिन इसे लेकर जिस तरीके से कुछ लोग बहुत ही तेजी से लड़ रहे हैं जो शर्मिला के समर्थक है... उस से लगता है की शायद कहीं कुछ न कुछ तो कमी है... लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त इस सरकार को शायद अभी अपने कोठारिया नोटों से भरने की फुर्सत नहीं है जो वो देश के किन्ही अन्य मुद्दों पर भी विचार कर सके...
इस अधिनियम को पूरी तरह से वैध कहना भी मेरे बस की बात नहीं है क्यूंकि इसमे कुछ ऐसे प्राविधान हैं जो मानवीयता को कहीं पीछे छोड़ जाते हैं.. लकिन यह बात भी नहीं सही लगती कि AFSPA को पूरी तरह से हटा लिया जाय... लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा कि आवश्यकता जरुर है...
इरम शर्मिला जो सन २००० से अभी तक इसी इंतज़ार में है कि सरकार से कोई आएगा जो उस से इस मुद्दे पर बात करेगा ... लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है....
ऊंचे रसूख और प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा किए गए अनशन तो टीवी कैमरों की चकाचौंध में चमक उठते हैं, लेकिन राष्ट्रीय मीडिया ने पिछले दस बरसों से अनशन कर रहीं इरम शर्मिला चानू की कभी सुध नहीं ली।
मणिपुर की ‘लौह महिला’ यानी आयरन लेडी के नाम से पुकारी जानेवालीं इरम पिछले दस साल से मणिपुर के कुछ हिस्सों और उत्तर-पूर्वी इलाकों में सशस्त्र सेना विशेष शक्तियां अधिनियम को समाप्त करने के लिए अनशन पर बैठी हैं। इस कानून के तहत सेना और अर्धसैनिक बलों को केवल संदेह के आधार पर गोली मारने का अधिकार है। राज्य सरकार उन्हें विटामिनों और जरूरी पोषक तत्त्वों के मिश्रण पर जीवित रखता है और दिन में दो बार जबरदस्ती उनकी नाक से उन्हें वह मिश्रण चढ़ाया जाता है।
इरम कहती हैं,“मेरे लोगों पर इस तरह का अत्याचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह ईश्वर की इच्छा है। मैं इसे जारी रखूंगी।”
यह अलग बात है कि मांगे कितनी सही या गलत हैं... लेकिन उनपर विचार करना और बात करना बहुत आवश्यक है... इरम के करीबी बताते हैं कि वो बस इस अधिनयम में कुछ बदलाव चाहती हैं जिस से उनपर अत्याचार न हो सके....
- आशा है कुछ अच्छा होगा....
भावेष कुमार पाण्डेय "विनय"
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