Friday, April 24, 2015

ThinkYuva एक नयी शुरुआत

ThinkYuva की तैयारी चल रही है, हम सभी लोग मिलकर एक नयी तरह की विचारधारा पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले हैं जिसको हम "Youthist" कहेंगे। "Youthism" शब्द तो पुराना है लेकिन इसके सही अर्थ को पता नही किसी ने आकार दिया या नहीं। 
Youthist शब्द से न्याय कर पाना ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, और Thinkyuva इस विचारधारा की एक अच्छी फसल के रूप में तैयार हो इसके लिए हमने कोशिश शुरू कर दी है।
हमारा यह संकल्प है कि थिंकयुवा आपको निराश नहीं करेगा और अपने नाम को चरितार्थ करते हुए समाज का हिस्सा बनेगा। 
आपकी दैनिकचर्या का एक भाग होगा और आपके परिवार का एक सदस्य बनेगा। थिंकयुवा आपका अधिकार होगा और आप थिंकयुवा परिवार। 
आप सभी का आशीर्वाद ही तो चाहिए जो हमें आगे बढ़ने की ताकत देगा। 

Tuesday, April 14, 2015

आज अम्बेडकर सबके हो गए


समय समय पर अम्बेडकर शब्द का अलग अलग तरीकों से उपयोग होता आया है, बहुत कम ही देखा गया है कि इसे लोगों ने गैरराजनैतिक एवं सामाजिक रूप से प्रयोग किया हो | भारत रत्न डॉ. भीम राव अम्बेडकर को मिला था लेकिन उस भारत रत्न भीम के व्यक्तित्व का प्रयोग अब अम्बेडकर के रूप में बहुरूपिये नेता करते हैं |

DrAmbedkar
Dr. B. R. Ambedkar
पिछले कई दिनों तक अम्बेडकर के नाम का कॉपीराइट मायावती के हाथी ने ले रखा था और इस वजनदार नाम को अपने ऊपर ढोते चलता था लेकिन अब तमाम राजनैतिक पार्टियों ने मायावती से उनका एकमात्र ट्रेडमार्क भी छीन लिया |
सरकारी छुट्टी की घोषणा तो मायावती ने मुख्यमंत्री रहते ही की थी लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता था कि छुट्टी की जगह अगर स्कूलों में आज के दिन पढाई होती तो अम्बेडकर ज्यादा खुश होते | आखिर वो भी एक मेधावी छात्र से लेकर देश के संविधान के रचनाकार थे, हाँ वही संविधान जो विधि के छात्रों को तो क्या 40 वर्ष प्रैक्टिस कर लेने वाले अधिकतर लोगों को याद नहीं हो पाता |
राजनैतिक दल और छुटभैये नेता से लेकर बड़े कहे जाने वाले नेता तक अम्बेडकर की सही शिक्षा और सन्देश देने के बजाय उनके नाम और व्यक्तित्व का चेक भुनाने में लगे हुए दिख रहे हैं |
और दलित कही जाने वाला समुदाय यही समझकर खुश है कि हमारे भगवान की पूजा अब पंडित, ठाकुर भी करते हैं, अम्बेडकर को भगवान मान बैठे दलित वर्ग को भगवान का आशीर्वाद तो बहुत मिला लेकिन उसके साइड इफेक्ट्स को उन सामान्य वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ा है | दलित आज भी कहता है उसे उसका हक़ चाहिए लेकिन गरीब की कौन सुने, क्या सामान्य वर्ग का गरीब किसी हक़ का हकदार नहीं है ??
आज के समाज का भगवान कौन है ? कौन इस समस्या का निवारण करेगा कि गरीब की चिंता, किसान की चिंता कैसे हो ? क्या अम्बेडकर फिर पैदा होंगे ?

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