Sunday, October 23, 2011

आज घर याद आ रहा है...


आज घर याद आ रहा है...
पापा का डांटना याद आ रहा है...
माँ का बनाया पराठा याद आ रहा है...
चाचा का साथ याद आ रहा है...
भाभी का दुलार याद आ रहा है..
घर की सुबह याद आ रही है...
चाय के साथ रोटी आ रही है...
वहाँ देखने को मिलता था भोर..
यहाँ सुनने को मिलता है शोर...
आज घर याद आ रहा है...

पापा का सुबह सुबह उठाना 
माँ का बार बार दुकान भेजना
घर में हमेशा मेहमानों का आना
और उनके लिए निकली मिठाई 
में से अपने लिए भी हाथ मारना
आज घर याद आ रहा है...

रविवार का इंतजार करना...
सुबह देर से उठना...
घर में सबका रहना...
आज का नया प्लान होना...
बाहर गेट पर दोस्तों का आना...
खेलने जाने के लिए पापा को मनाना
आज घर याद आ रहा है...

परीक्षा का रिजल्ट आना...
रिजल्ट के बारे में न बताना ..
माँ का बार बार पूछना...
पापा का वो समझाना...
ठीक से अब पढेंगे ये वादा करना...
रात में सोने तक दिल में जोश रहना...
सुबह उठते ही अलार्म बंद करके फिर सो जाना....
आज घर याद आ रहा है...

BHAVESH KUMAR PANDEY 'विनय'©2011



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